2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना होने के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी बेहद खास है। यह ग्रहण 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन होगा, जो पितृपक्ष के पहले दिन के साथ मेल खाता है। भारत में इस चंद्र ग्रहण को देखा जा सकेगा, और इसके साथ ही सूतक काल भी लागू होगा। इस ग्रहण की खासियत इसका लाल रंग है, जिसे “ब्लड मून” के नाम से जाना जाता है। आइए, इस खगोलीय घटना के समय, प्रभाव और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
चंद्र ग्रहण का समय और दृश्यता
यह चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को रात 9:57 बजे शुरू होगा और 8 सितंबर की मध्यरात्रि 12:23 बजे तक रहेगा। भारतीय समय के अनुसार, सूतक काल दोपहर 12:35 बजे से शुरू हो जाएगा, क्योंकि चंद्र ग्रहण में सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले लागू होता है। भारत के अलावा यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, अमेरिका और अफ्रीका में भी दिखाई देगा। इस दौरान चंद्रमा का रंग लाल हो जाएगा, जो इसे एक अनोखा और आकर्षक दृश्य बनाएगा।
चंद्र ग्रहण क्या है?
चंद्र ग्रहण तब होता है, जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, और चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं, जिससे चंद्रमा काला या लाल दिखाई देता है। आंशिक चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का केवल एक हिस्सा पृथ्वी की छाया में आता है, जबकि उपछाया ग्रहण में चंद्रमा पर हल्की छाया पड़ती है, जिसे देखना थोड़ा मुश्किल होता है। इस बार का ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो खगोलीय प्रेमियों के लिए एक शानदार नजारा होगा।
राशियों पर प्रभाव: किसे मिलेगा लाभ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह चंद्र ग्रहण मकर, मिथुन और धनु राशि वालों के लिए शुभ साबित हो सकता है। इन राशियों के जातकों को अप्रत्याशित धन लाभ, कारोबार में उन्नति, नौकरी के नए अवसर, प्रमोशन और निवेश से मुनाफा मिलने की संभावना है। अविवाहित लोगों को विवाह के प्रस्ताव मिल सकते हैं, जबकि यात्रा और रुके हुए धन की प्राप्ति के योग भी बन रहे हैं। संपत्ति खरीदने या वाहन लेने के लिए भी यह समय अनुकूल हो सकता है। हालांकि, ज्योतिषीय प्रभाव व्यक्तिगत कुंडली पर भी निर्भर करते हैं, इसलिए किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होगा।
सूतक काल में क्या करें और क्या नहीं?
चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल का विशेष महत्व होता है। इस समय कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं:
पूजा-पाठ से बचें: सूतक काल शुरू होने पर पूजा-पाठ बंद कर देना चाहिए। मंदिर या पूजा स्थल को पर्दे से ढक लें।
खान-पान पर नियंत्रण: ग्रहण के दौरान भोजन बनाना या खाना नहीं चाहिए। खाद्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते डालकर रखें।
गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानी: गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही ग्रहण देखना चाहिए।
अन्य सावधानियां: सूतक काल में बाल काटना, सिलाई-कढ़ाई, तेल लगाना या चाकू चलाना वर्जित है।
ग्रहण समाप्त होने के बाद घर और पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव कर शुद्धिकरण करना चाहिए।
क्यों खास है यह चंद्र ग्रहण?
यह चंद्र ग्रहण न केवल खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पितृपक्ष के पहले दिन होने के कारण इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी बढ़ जाता है। ब्लड मून का लाल रंग इसे एक दुर्लभ दृश्य बनाता है, जो प्रकृति के चमत्कार को दर्शाता है। यह ग्रहण उन लोगों के लिए भी खास है जो खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं, क्योंकि यह रात के समय आसानी से देखा जा सकेगा।
नोट: यह जानकारी सामान्य ज्योतिषीय मान्यताओं और खगोलीय तथ्यों पर आधारित है। किसी भी ज्योतिषीय सलाह पर अमल करने से पहले अपने पंडित या ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें।