Kaal Sarp Dosh : जन्म कुंडली में योग- दोष एवं राजयोगों की मौजूदगी एक सामान्य बात है, लेकिन जब बात कालसर्प दोष की आती है तो यह नाम ही व्यक्ति के जीवन में डर की झलक ला देता है।
जब यह दोष सक्रिय होता है, तो बेरोक-टोक परेशानियाँ सामने आती हैं—रोक, व्याधि, मानसिक अस्थिरता और भी बहुत कुछ।
आमतौर पर अनुष्ठान, मंत्र और पूजा से ही इसका निवारण संभव माना जाता है, परंतु क्या आप जानते हैं कि एक ओझ आप-से-आप घर में ही प्रभावशाली समाधान ला सकता है? चलिए जानते हैं इस अनूठे उपाय के बारे में।
लहसुनिया रत्न का शिवलिंग: घर की शांति का सूत्र
लहसुनिया रत्न से निर्मित शिवलिंग की पूजा एक अद्वितीय उपाय है, विशेषकर उन परिवारों के लिए जो कालसर्प दोष के प्रभाव से पीड़ित हों।
यह रत्न शिवलिंग न सिर्फ दोष को शांत करता है बल्कि व्याधियों, केतु दोष या मानसिक उलझनों में भी राहत दिलाता है।
जैसे-जैसे विधिपूर्वक पूजा जारी रखी जाती है, धीरे-धीरे जीवन में सकारात्मकता की लहर आने लगती है—चमत्कारिक परिणाम स्वयं दिखाई देते हैं।
कैसे करें लहसुनिया शिवलिंग पूजन विधि:
सबसे पहले, किसी शांत सूती वस्त्र पर बैठकर आपके सामने एक साफ पटिया रखिए, उस पर लाल वस्त्र बिछाकर शिवलिंग स्थापित करें।
अब, मनोकामी या भोलेनाथ का कोई भी प्रिय मंत्र लेकर जाप करें—माला का उपयोग और संख्या श्रद्धा अनुसार नियत करें।
मंत्रोच्चारण के पश्चात, शिवलिंग पर जल अर्पित करें—यह अभिषेक के रूप में किया जाएगा।
अंत में, बचा हुआ जल स्नान के लिए या घर के कोनों में छिड़ककर नकारात्मक ऊर्जा को मिटा दें—और देखें, घर-परिवार पर खुशियों का रंग कैसे छा जाता है!
लहसुनिया शिवलिंग के चमत्कारिक फायदे
पूजा शुरू करने के तुरंत ही, व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति का आभास होने लगता है।
अगर कोई पुरानी बीमारी से जूझ रहा है, तो इस शिवलिंग के नियमित अभिषेक से जल को स्नान के पानी में मिलाकर उपयोग करने से वाकई में संक्रमण एवं रोगों से राहत मिलती है।
यह उपाय संकल्प, विश्वास और भक्ति का संगम है—और परिणाम तेज़ी से दिखते हैं अगर आप इसे नियमित और निष्ठा पूर्वक करते हैं।
कब करें सरल उपाय?
- सोमवार, शनिवार, अमावस्या, मासिक तिथि
- महाशिवरात्रि, पूरे सावन माह
- नागपंचमी या ऐसे शुभ मुहूर्त
इन दिनों पूजन करने से शुभ फल और भी अधिक गहराई से अनुभव होते हैं।