यामीन विकट, ठाकुरद्वारा। ठाकुरद्वारा और इसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में मादक पदार्थों की बिक्री जिस तेजी से बढ़ रही है, वह समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। यह काला कारोबार न केवल स्थानीय समुदाय को प्रभावित कर रहा है, बल्कि देश के भविष्य कहे जाने वाले युवाओं को अंधेरे की ओर धकेल रहा है। नशे की लत में फंसे युवा न सिर्फ अपने जीवन को बर्बाद कर रहे हैं, बल्कि समाज के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, यह अवैध व्यापार शहर के बाहरी इलाकों में बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है, जहां बड़े कारोबारी बिना किसी डर के इस धंधे को संचालित कर रहे हैं।
समाजसेवियों की पुकार, निष्क्रिय प्रशासन
कई समाजसेवी और जागरूक नागरिक इस मुद्दे को बार-बार प्रशासन के सामने उठा चुके हैं। मुख्यमंत्री पोर्टल से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक, कई बार शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई का अभाव साफ दिखाई देता है। समाजसेवियों का कहना है कि प्रशासन की ओर से केवल दिखावटी कार्रवाई की जाती है, जिसमें छोटे-मोटे डीलरों को पकड़कर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। बड़े मछलियां, जो इस काले धंधे के असली सरगना हैं, हमेशा कानून की पकड़ से बाहर रहती हैं। सूत्रों की मानें तो इन कारोबारियों को कुछ प्रभावशाली लोगों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते स्थानीय लोग डर के कारण आवाज नहीं उठा पाते।
नशे की लत और बढ़ती चोरियां
नशे की लत का दुष्प्रभाव अब सामाजिक सुरक्षा पर भी पड़ रहा है। नशे के आदी युवा अपनी लत को पूरा करने के लिए छोटी-मोटी चोरियों का सहारा ले रहे हैं। हाल के दिनों में कोतवाली में ऐसी कई शिकायतें दर्ज हुई हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों को बिना किसी गंभीर कार्रवाई के दबा दिया जाता है। नशे के आदी युवाओं के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे न केवल आपस में झगड़ते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों के साथ भी उलझ पड़ते हैं। आम नागरिक डर और समझदारी के चलते इनसे दूरी बनाए रखता है, लेकिन यह स्थिति समाज के लिए एक नासूर बन चुकी है।
कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति
समाजसेवियों का कहना है कि मादक पदार्थों के इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए पुलिस की कार्रवाई बेहद सतही और अपर्याप्त है। कभी-कभार छोटे स्तर के डीलरों से थोड़ा-सा मादक पदार्थ बरामद कर दिखावटी कार्रवाई की जाती है, लेकिन बड़े कारोबारियों तक कानून का हाथ नहीं पहुंचता। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक इस कारोबार के मास्टरमाइंड को पकड़ा नहीं जाएगा, तब तक इस सामाजिक बुराई का उन्मूलन असंभव है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि प्रशासन और पुलिस इस दिशा में सख्त और प्रभावी कदम उठाए, ताकि युवाओं का भविष्य बचाया जा सके।
समाधान की ओर एक कदम
इस समस्या से निपटने के लिए समाज और प्रशासन को मिलकर काम करने की जरूरत है। जागरूकता अभियान, नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना, और सख्त कानूनी कार्रवाई इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। स्थानीय समुदाय को भी इस बुराई के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। यदि समय रहते इस काले कारोबार पर लगाम नहीं लगाई गई, तो इसका असर पूरे समाज पर पड़ सकता है।