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बिजनौर की तुष्टि और नानी विनोद देवी की दर्दनाक मौत, रुला देगा पूरा किस्सा!

On: Sunday, June 15, 2025 9:56 PM
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उत्तराखंड के पवित्र केदारनाथ धाम की यात्रा, जो आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, बिजनौर के एक परिवार के लिए दुखों की स्याही में डूब गई। रविवार की सुबह रुद्रप्रयाग के गौरीकुंड क्षेत्र में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना ने सात जिंदगियों को लील लिया, जिसमें बिजनौर के वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मपाल सिंह की पत्नी विनोद देवी (66) और उनकी नातिन तुष्टि भी शामिल थीं। यह हादसा उस समय हुआ, जब तीर्थयात्री केदारनाथ के दर्शन कर गुप्तकाशी लौट रहे थे। इस त्रासदी ने न केवल एक परिवार को तोड़ा, बल्कि पूरे बिजनौर में मातम का साया फैला दिया।

आस्था की यात्रा, जो अधूरी रह गई

धर्मपाल सिंह का परिवार केदारनाथ यात्रा के लिए उत्साह से भरा हुआ था। विनोद देवी और तुष्टि के साथ-साथ धर्मपाल, उनके पोते ईशान और नाती गौरांश भी इस पवित्र यात्रा पर थे। लेकिन हेलिकॉप्टर कंपनी के नियमों ने इस परिवार को दो अलग-अलग हेलिकॉप्टरों में बांट दिया। धर्मपाल ने एक साथ यात्रा करने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी बात अनसुनी रह गई। यह निर्णय उनके लिए सबसे बड़ा दुख बनकर सामने आया। धर्मपाल, ईशान और गौरांश सुरक्षित गुप्तकाशी पहुंच गए, लेकिन विनोद देवी और तुष्टि का हेलिकॉप्टर कभी नहीं लौटा।

जब दूसरा हेलिकॉप्टर देर तक नहीं उतरा, तो परिवार की बेचैनी बढ़ने लगी। कुछ देर बाद खबर आई कि गौरीकुंड और सोनप्रयाग के बीच हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह सुनते ही परिवार की सारी उम्मीदें धराशायी हो गईं। प्रशासन ने कुछ घंटों बाद पुष्टि की कि हेलिकॉप्टर में सवार सभी सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

बिजनौर में मातम, टूटी उम्मीदें

हादसे की खबर जैसे ही बिजनौर और नगीना पहुंची, धर्मपाल सिंह के घर में कोहराम मच गया। परिजन रोते-बिलखते केदारनाथ के लिए रवाना हुए। घर की दीवारों पर सन्नाटा पसरा था, और हर आंख में आंसुओं का सैलाब। विनोद देवी, जो परिवार की धुरी थीं, और तुष्टि, जो सबकी लाडली थी, अब केवल यादों में रह गईं।

धर्मपाल सिंह ने बताया कि तुष्टि पढ़ाई में अव्वल और बेहद चंचल थी। वह अपनी सहेलियों को केदारनाथ यात्रा के किस्से सुनाने का सपना लिए चली थी। विनोद देवी का धार्मिक स्वभाव और परिवार के प्रति समर्पण हर किसी के लिए प्रेरणा था। लेकिन एक पल ने सबकुछ छीन लिया। धर्मपाल ने कहा, “तुष्टि मेरी आंखों का नूर थी, और विनोद के बिना यह घर सूना है। यह खालीपन कभी नहीं भरेगा।”

हादसे के पीछे सवाल, जवाब कौन देगा?

यह हादसा कई सवाल खड़े करता है। आखिर हेलिकॉप्टर की सुरक्षा जांच में क्या कमी रह गई? क्या परिवार को एक साथ यात्रा करने की इजाजत देकर इस त्रासदी को टाला जा सकता था? परिजनों का कहना है कि हेलिकॉप्टर कंपनी और प्रशासन की ओर से शुरूआती जानकारी में देरी ने उनके दुख को और बढ़ाया। इस हादसे ने केदारनाथ यात्रा की हेलिकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा पर भी सवाल उठाए हैं।

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