हरियाणा के पानीपत में एक 35 वर्षीय महिला के साथ हुए गैंगरेप की घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह जघन्य अपराध न केवल महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि मानवता को भी शर्मसार करता है। पीड़िता के साथ क्रूरता की सारी हदें पार की गईं और उसे सोनीपत की रेलवे पटरियों पर मृत समझकर छोड़ दिया गया। इस लेख में हम इस भयावह घटना के हर पहलू को समझेंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि पुलिस और समाज इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कर रहे हैं।
विश्वास का दुरुपयोग और क्रूरता की शुरुआत
यह दर्दनाक घटना उस समय शुरू हुई जब पीड़िता, जो 24 जून को अपने घर से लापता हो गई थी, पानीपत रेलवे स्टेशन पर अकेली बैठी थी। एक अनजान व्यक्ति ने उसका भरोसा जीतने के लिए झूठ बोला कि उसे उसके पति ने भेजा है। भोली-भाली महिला उसकी बातों में आ गई और उसके साथ चली गई। उस शख्स ने उसे एक खड़ी ट्रेन के खाली डिब्बे में ले जाकर अपनी हवस का शिकार बनाया। इसके बाद दो अन्य लोग भी वहां पहुंचे और उन्होंने भी महिला के साथ दुष्कर्म किया। यह क्रूरता यहीं नहीं रुकी।
अमानवीयता की हद: ट्रेन की पटरियों पर फेंका
आरोपियों ने पीड़िता को डराने-ot और धमकाकर सोनीपत ले गए। वहां, उन्होंने उसे रेलवे की पटरियों पर फेंक दिया। उसी दौरान एक ट्रेन गुजर गई, जिसके कारण महिला के पैर कट गए। गंभीर रूप से घायल हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया, बल्कि पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बहस छेड़ दी है।
पुलिस की कार्रवाई और जांच की प्रक्रिया
पानीपत के किला थाना पुलिस ने पीड़िता के बयान के आधार पर भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत जीरो एफआईआर दर्ज की। इस मामले को सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) को हस्तांतरित कर दिया गया है। जीआरपी के एसएचओ इंस्पेक्टर राजेश ने बताया कि एक विशेष पुलिस टीम का गठन किया गया है, जो इस मामले की गहन जांच कर रही है। आरोपियों की तलाश के लिए व्यापक छापेमारी की जा रही है। पुलिस का कहना है कि वे जल्द से जल्द अपराधियों को पकड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।