उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों (Bangladeshi Infiltrators) के खिलाफ पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। शनिवार रात को क्लेमेंटाउन क्षेत्र में चलाए गए सत्यापन अभियान (Verification Drive) के दौरान पांच बांग्लादेशी नागरिकों और एक भारतीय महिला को गिरफ्तार किया गया। इस ऑपरेशन में चार नाबालिग बच्चों को भी पुलिस संरक्षण में लिया गया। बरामद फर्जी आधार कार्ड और बांग्लादेशी आईडी ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। यह कार्रवाई न केवल स्थानीय पुलिस की सतर्कता को दर्शाती है, बल्कि अवैध घुसपैठ के खिलाफ सरकार की सख्त नीति को भी रेखांकित करती है।
सत्यापन अभियान ने खोली पोल
देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह को क्लेमेंटाउन में कुछ बांग्लादेशी नागरिकों के अवैध रूप से रहने की गुप्त सूचना मिली थी। इस जानकारी के आधार पर उन्होंने तुरंत एक संयुक्त टीम गठित की, जिसमें विशेष कार्य बल (एसओजी), स्थानीय खुफिया इकाई (एलआईयू), और क्लेमेंटाउन थाना पुलिस शामिल थी। इस टीम ने शनिवार रात को लेन नंबर 11, पोस्ट ऑफिस रोड पर सत्यापन अभियान चलाया। इस दौरान पुलिस ने पांच बांग्लादेशी नागरिकों—निर्मल राय, शेम राय, लिपि राय, कृष्णा उर्फ संतोष, और मुनीर चन्द्र राय—को हिरासत में लिया। उनके साथ एक भारतीय महिला पूजा रानी और एक भारतीय नाबालिग बालक भी पकड़े गए।
फर्जी दस्तावेजों का जाल
पूछताछ के दौरान बांग्लादेशी नागरिक कोई वैध दस्तावेज, जैसे पासपोर्ट या वीजा, पेश नहीं कर सके। पुलिस को जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए। मुनीर चन्द्र राय के पास पटना (बिहार) और पश्चिम बंगाल के दो फर्जी आधार कार्ड (Fake Aadhaar Card) मिले, जबकि निर्मल राय और कृष्णा उर्फ संतोष के पास बांग्लादेश की मूल आईडी बरामद हुईं। इन दस्तावेजों ने साफ कर दिया कि ये लोग नकली पहचान बनाकर भारत में छिपकर रह रहे थे। इस मामले में भारतीय महिला पूजा रानी की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई, क्योंकि उसने इन बांग्लादेशी नागरिकों को सहायता प्रदान की थी।
बांग्लादेश से देहरादून तक का सफर
मुख्य आरोपी मुनीर चन्द्र राय उर्फ उज्वल की कहानी इस मामले को और रोचक बनाती है। बांग्लादेश के दिनासपुर जिले का रहने वाला मुनीर 16 साल की उम्र में राधिका पुर बॉर्डर के रास्ते पश्चिम बंगाल के कल्याणगंज पहुंचा था। वहां अपने मामा के साथ दो साल रहा, फिर नोएडा में काम किया। बाद में वह फिर पश्चिम बंगाल लौट गया। साल 2016 में उसने फरीदाबाद में पूजा रानी उर्फ रोसना से शादी की, जो एक विधवा थी। पूजा का यह दूसरा विवाह था। इस जोड़े ने देहरादून में बसने का फैसला किया, जहां वे फर्जी दस्तावेजों के सहारे छिपकर रह रहे थे।
पुलिस की सख्त कार्रवाई
पुलिस ने सभी बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने और रहने के आरोप में गिरफ्तार किया। पूजा रानी पर इन घुसपैठियों की मदद करने का आरोप है। चार नाबालिग बच्चों को मानवीय आधार पर पुलिस संरक्षण (Police Custody) में लिया गया है। आरोपियों के खिलाफ थाना क्लेमेंटाउन में भारतीय नवीन संहिता (बीएनएस) की धारा 338, 336(3), 340(2), 318(4), 61(2) और पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 3/12/14 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। दो अन्य संदिग्ध, नूर इस्लाम और मोहम्मद आलम, अभी फरार हैं, और उनकी तलाश में पुलिस ने छापेमारी तेज कर दी है।
अवैध घुसपैठ पर बड़ा सवाल
यह घटना उत्तराखंड में अवैध घुसपैठ (Illegal Immigration) के बढ़ते खतरे को उजागर करती है। फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल और स्थानीय लोगों की मिलीभगत ऐसे मामलों को और जटिल बनाती है। पुलिस का यह अभियान न केवल देहरादून, बल्कि पूरे राज्य में अवैध गतिविधियों पर नकेल कसने की दिशा में एक बड़ा कदम है। स्थानीय निवासियों ने पुलिस की इस कार्रवाई की सराहना की है, लेकिन साथ ही यह मांग भी उठ रही है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी को और मजबूत किया जाए।