उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसे भारत की पहली कार्बन क्रेडिट फाइनेंस स्कीम के नाम से जाना जा रहा है। यह योजना न केवल किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान कर रही है, बल्कि भारत के 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को साकार करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आइए, इस योजना की खासियतों और इसके प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।
किसानों के लिए दोहरा लाभ: आय और पर्यावरण संरक्षण
उत्तर प्रदेश की यह अभिनव योजना किसानों को पर्यावरण के साथ-साथ आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का एक अनूठा मॉडल प्रस्तुत करती है। इस पहल के तहत, किसान वृक्षारोपण और वन-कृषि (एग्रोफॉरेस्ट्री) के माध्यम से कार्बन क्रेडिट अर्जित कर सकते हैं। अब तक, 244 किसानों को 49.55 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है, और जल्द ही 401 अन्य किसानों को 25.45 लाख रुपये वितरित किए जाएंगे। यह योजना किसानों को प्रति पेड़ 250 से 350 रुपये की कमाई का अवसर देती है, जो उनकी आय को बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देता है।
योजना की शुरुआत और इसका विस्तार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में आयोजित राज्यव्यापी वृक्षारोपण अभियान के दौरान इस योजना का शुभारंभ किया। पहले चरण में गोरखपुर, बरेली, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद और सहारनपुर जैसे मंडलों के किसानों को शामिल किया गया। इन क्षेत्रों में किसानों को कुल 202 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। उदाहरण के लिए, गोरखपुर के 2,406 किसानों को 34.66 करोड़ रुपये, बरेली के 4,500 किसानों को 24.84 करोड़ रुपये और सहारनपुर के 7,271 किसानों को 61.52 करोड़ रुपये मिलेंगे।
दूसरे चरण में यह योजना देवी पाटन, अयोध्या, झांसी, मिर्जापुर, कानपुर, वाराणसी और अलीगढ़ मंडलों में लागू होगी। तीसरे चरण में इसे पूरे उत्तर प्रदेश में विस्तारित करने की योजना है, जिससे अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें। यह कदम न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा देगा।
कार्बन क्रेडिट: पर्यावरण और अर्थव्यवस्था का संगम
कार्बन क्रेडिट एक ऐसी पर्यावरणीय इकाई है, जो ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी को दर्शाती है। एक कार्बन क्रेडिट एक मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड या इसके समतुल्य गैस को कम करने का प्रतीक है। किसान वृक्षारोपण और एग्रोफॉरेस्ट्री जैसी तकनीकों के जरिए कार्बन क्रेडिट अर्जित करते हैं, जिन्हें वैश्विक कार्बन मार्केट में बेचकर वे अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करती है, बल्कि किसानों की आजीविका को भी बेहतर बनाती है।
योजना का ढांचा और इसके फायदे
उत्तर प्रदेश सरकार ने द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) के साथ मिलकर इस योजना को लागू किया है। इसके तहत, एक मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैस को कम करने पर एक कार्बन क्रेडिट प्रदान किया जाता है। अब तक, उत्तर प्रदेश के किसानों ने एग्रोफॉरेस्ट्री के माध्यम से 42.19 लाख कार्बन क्रेडिट उत्पन्न किए हैं, जिन्हें हर पांच साल में प्रति क्रेडिट 6 डॉलर की दर से वितरित किया जाता है।
2024 से 2026 तक, 25,140 किसानों को 202 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन मिलेगा। यह योजना न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगी। यह पहल ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक शानदार उदाहरण है।
‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’: हरियाली की नई मिसाल
उत्तर प्रदेश ने इस साल ‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’ अभियान के तहत 37.21 करोड़ पौधे रोपकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। पिछले आठ वर्षों में राज्य में 240 करोड़ से अधिक पौधे रोपे गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश का हरित क्षेत्र लगभग 5 लाख एकड़ बढ़ा है। वर्तमान में, राज्य का वन और वृक्ष आवरण इसके भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 10% हो गया है, जो पहले 9.18% था। यह उपलब्धि पर्यावरण संरक्षण और कार्बन न्यूट्रैलिटी के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।