न्यूज़ीलैंड की आव्रजन मंत्री (Immigration Minister) एरिका स्टैनफोर्ड ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है। भारतीय प्रवासियों को लेकर की गई उनकी टिप्पणी ने न केवल विवाद को जन्म दिया है, बल्कि उनकी कार्यशैली और संवेदनशीलता पर भी सवाल उठाए हैं। आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं और जानते हैं कि आखिर क्या है इस बयान के पीछे की कहानी।
बयान जिसने मचाया तहलका
6 मई, 2025 को न्यूज़ीलैंड की संसद (Parliamentary Session) में एक सवाल का जवाब देते हुए एरिका स्टैनफोर्ड ने भारतीयों के ईमेल को लेकर एक ऐसी टिप्पणी की, जिसने सभी को चौंका दिया। उन्होंने कहा, “मुझे बहुत सारे अनचाहे ईमेल मिलते हैं, खासकर भारत में रहने वाले लोगों से, जो आव्रजन (Immigration) से जुड़ी सलाह मांगते हैं। मैं इन ईमेल्स का कभी जवाब नहीं देती, क्योंकि मैं इन्हें स्पैम (Spam) की तरह देखती हूं।” यह बयान संसद में उनके निजी जीमेल (Gmail) खाते के आधिकारिक पत्राचार में इस्तेमाल को लेकर उठे सवाल के जवाब में आया था।
भारतीय समुदाय की नाराज़गी
एरिका स्टैनफोर्ड का यह बयान भारतीय समुदाय के लिए अपमानजनक माना जा रहा है। भारतीय प्रवासी, जो न्यूज़ीलैंड में एक महत्वपूर्ण और मेहनती समुदाय का हिस्सा हैं, इस टिप्पणी से आहत हुए हैं। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे नस्लीय (Racist) और असंवेदनशील करार दिया है। न्यूज़ीलैंड में रहने वाले भारतीय मूल के एक नागरिक, राहुल शर्मा (Rahul Sharma) ने एक्स (X) पर लिखा, “यह बयान न केवल भारतीयों का अपमान है, बल्कि यह दिखाता है कि आव्रजन जैसे संवेदनशील मुद्दे को कितनी हल्के में लिया जा रहा है।”
सरकार और आलोचकों की प्रतिक्रिया
इस बयान के बाद एरिका स्टैनफोर्ड को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी दलों ने इसे अव्यवसायिक और गैर-जिम्मेदाराना बताया है। न्यूज़ीलैंड की लेबर पार्टी (Labour Party) के एक प्रवक्ता ने कहा, “एक मंत्री का इस तरह का बयान न केवल अनुचित है, बल्कि यह न्यूज़ीलैंड की बहुसांस्कृतिक छवि को भी धूमिल करता है।” कई सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि एरिका स्टैनफोर्ड सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।
क्या है असल मुद्दा?
एरिका स्टैनफोर्ड ने अपने बयान में यह स्पष्ट करने की कोशिश की थी कि वह अपने निजी जीमेल (Gmail) खाते का उपयोग इसलिए करती हैं, क्योंकि आधिकारिक ईमेल खाते में बहुत सारे अनचाहे मेल आते हैं। लेकिन उनकी इस सफाई में भारतीयों को निशाना बनाना गलत साबित हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि एक मंत्री को इतने संवेदनशील मुद्दे पर सावधानी से बोलना चाहिए, खासकर जब बात न्यूज़ीलैंड जैसे देश की हो, जो अपनी बहुसांस्कृतिक नीतियों के लिए जाना जाता है।
इस विवाद ने न्यूज़ीलैंड में आव्रजन नीतियों (Immigration Policies) और सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही पर बहस को और तेज कर दिया है। भारतीय समुदाय और उनके समर्थक अब यह मांग कर रहे हैं कि एरिका स्टैनफोर्ड न केवल माफी मांगें, बल्कि यह भी सुनिश्चित करें कि भविष्य में इस तरह की टिप्पणियां न हों। साथ ही, यह मामला न्यूज़ीलैंड सरकार के लिए एक सबक है कि वैश्विक मंच पर उनकी छवि को बनाए रखने के लिए संवेदनशीलता और समावेशिता कितनी महत्वपूर्ण है।