ब्रिटेन की संसद ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए इंग्लैंड और वेल्स में गर्भपात को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का फैसला किया है। मंगलवार को हुए मतदान में यह संशोधन भारी बहुमत से पारित हुआ, जो 19वीं सदी के उस पुराने कानून को बदल देगा, जिसके तहत गर्भपात कराने वाली महिलाओं को आजीवन कारावास की सजा हो सकती थी। यह बदलाव ऐसे समय में आया है, जब पुराने कानूनों के कारण महिलाओं पर पुलिस जांच और अभियोगों की संख्या बढ़ रही थी। आइए, इस फैसले के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव को समझते हैं।
गर्भपात कानून: पुरानी बेड़ियों से मुक्ति
इंग्लैंड और वेल्स में पिछले 60 वर्षों से गर्भपात वैध है, लेकिन यह 24 सप्ताह की गर्भावस्था तक सीमित है और इसके लिए दो डॉक्टरों की सहमति अनिवार्य होती है। हालांकि, 1861 का विक्टोरियन युग का कानून गर्भपात को अपराध मानता था, जिसमें 24 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था में गर्भपात कराने वाली महिलाओं को आजीवन जेल की सजा का प्रावधान था। इस पुराने कानून ने न केवल महिलाओं के अधिकारों को सीमित किया, बल्कि आधुनिक समय में उनकी स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर भी सवाल उठाए।
कोविड-19 महामारी के बाद स्थिति और जटिल हो गई। एक अस्थायी कानूनी बदलाव के तहत महिलाओं को 10 सप्ताह तक की गर्भावस्था में घर पर गर्भपात की गोलियां लेने की अनुमति दी गई। हालांकि, इस सुविधा के बावजूद, पुराने कानून के तहत अभियोगों में वृद्धि देखी गई। लेबर पार्टी की सांसद टोनिया एंटोनियाज़ी ने संसद में बताया कि पिछले पांच साल में 100 से अधिक महिलाओं के खिलाफ जांच हुई, जिनमें कई ऐसी थीं, जिन्हें अपमानजनक रिश्तों में गर्भपात के लिए मजबूर किया गया या जिन्होंने समय से पहले बच्चे को जन्म दिया। उन्होंने इसे “न्याय का मज़ाक” और “क्रूरता” करार देते हुए तत्काल सुधार की मांग की।
संसद का ऐतिहासिक मतदान
स्वतंत्र संसदीय मतदान में 379 के मुकाबले 137 वोटों से इस संशोधन को प्रारंभिक स्वीकृति मिली। यह संशोधन गर्भपात कराने वाली महिलाओं के खिलाफ सभी अभियोगों को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, यह कानून अभी भी हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स में संशोधन या अस्वीकृति का सामना कर सकता है। इसके अलावा, 24 सप्ताह की सीमा के बाहर गर्भपात में सहायता करने वाले चिकित्सा पेशेवरों पर अभी भी मुकदमा चल सकता है।
विवाद और भविष्य की आशंकाएं
इस संशोधन का समर्थन करने वाले इसे महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वायत्तता के लिए एक जीत मानते हैं, लेकिन कुछ रूढ़िवादी सांसदों ने इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया। सांसद रेबेका पॉल ने चेतावनी दी कि अगर यह संशोधन कानून बन गया, तो “पूर्ण विकसित शिशुओं का गर्भपात बिना किसी परिणाम के हो सकता है।” उनका यह बयान बहस को और गर्म कर सकता है।
रॉयल कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट के अनुसार, 1861 से 2022 तक केवल तीन महिलाओं को अवैध गर्भपात के लिए दोषी ठहराया गया था। लेकिन हाल के वर्षों में पुलिस ने छह महिलाओं पर आरोप लगाए, और एक को जेल की सजा भी हुई। यह आंकड़े पुराने कानून के दुरुपयोग की गंभीरता को दर्शाते हैं।