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संसद में न्यूड फोटो लेकर पहुंची महिला सांसद! न्यूजीलैंड से आई चौंकाने वाली खबर

On: Thursday, June 5, 2025 10:14 AM
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आज के डिजिटल युग में, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) ने हमारे जीवन को आसान बनाया है, वहीं इसके दुरुपयोग ने भी कई गंभीर समस्याएं खड़ी की हैं। खासतौर पर डीपफेक तकनीक, जो किसी की तस्वीर या वीडियो को इतनी सफाई से बदल देती है कि असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। इस तकनीक का गलत इस्तेमाल, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ, उनकी निजता और सम्मान को ठेस पहुंचा रहा है। इसी गंभीर मुद्दे को उठाने के लिए न्यूजीलैंड की सांसद लॉरा मैक्लर ने एक ऐसा साहसिक कदम उठाया, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है।

संसद में डीपफेक की सच्चाई का खुलासा

न्यूजीलैंड की संसद में लॉरा मैक्लर ने एक ऐसी तस्वीर पेश की, जो देखने में उनकी न्यूड फोटो थी, लेकिन हकीकत में यह AI द्वारा बनाई गई डीपफेक तस्वीर थी। इस कदम का मकसद न तो सुर्खियां बटोरना था और न ही कोई व्यक्तिगत लाभ लेना। लॉरा का उद्देश्य था दुनिया को यह दिखाना कि डीपफेक तकनीक कितनी खतरनाक हो सकती है। उन्होंने संसद में कहा, “यह तस्वीर मेरी है, लेकिन यह असली नहीं है। यह AI की मदद से बनाई गई फर्जी तस्वीर है, जो इतनी वास्तविक लगती है कि कोई भी धोखा खा सकता है।” इस साहसिक कदम के जरिए लॉरा ने डीपफेक के खतरों को उजागर किया और इसे रोकने की जरूरत पर जोर दिया।

डीपफेक: महिलाओं के लिए बढ़ता खतरा

डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग आज एक वैश्विक समस्या बन चुका है। खासकर महिलाएं और युवतियां इसकी चपेट में आ रही हैं। बिना सहमति के उनकी तस्वीरों को अश्लील सामग्री में बदला जा रहा है, जिससे उनकी सामाजिक और मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ता है। लॉरा ने संसद में इस बात पर जोर दिया कि ऐसी तकनीक का इस्तेमाल शोषण का एक स्पष्ट रूप है। उन्होंने कहा, “कोई भी महिला, लड़की या बच्ची ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना चाहिए, जहां उनकी फर्जी तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हो जाएं और वे खुद को असहाय महसूस करें।”

नया कानून: डीपफेक के खिलाफ सख्त कदम

लॉरा मैक्लर ने न्यूजीलैंड की संसद में ‘Deepfake Digital Harm and Exploitation Bill’ का समर्थन किया है। इस प्रस्तावित कानून का लक्ष्य बिना अनुमति के डीपफेक सामग्री के निर्माण और साझा करने पर पूरी तरह रोक लगाना है। इस बिल में डीपफेक अश्लीलता को अपराध की श्रेणी में लाने और इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है। लॉरा का कहना है कि मौजूदा कानूनी व्यवस्था इस तरह के डिजिटल अपराधों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की तकनीक से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

लॉरा मैक्लर का यह कदम न केवल न्यूजीलैंड बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। उन्होंने न सिर्फ डीपफेक के खतरों को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि साहस और जिम्मेदारी के साथ उठाया गया एक कदम समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। उनकी इस पहल ने महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित डिजिटल स्पेस बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

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